शुक्रवार, 30 मार्च 2012

गीत:-

लचक लचक लचकै छौ गोरी तोहर पतरी कमरिया
ठुमैक ठुमैक चलै छे गोरी गिरबैत बाट बिजुरिया //२
देख मोर रूपरंग मोन तोहर काटै चौ किये अहुरिया
सोरह वसंतक चढ़ल जुवानी में गिरबे करतैय बिजुरिया //२ मुखड़ा

चमक चमक चमकैय छौ गोरी तोहर अंग अंग
सभक मोन में भरल उमंग देखैला तोहर रूपरंग
ठुमैक ठुमैक चलै छे गोरी गिरबैत बाट बिजुरिया
रूप लगैय छौ चन्द्रमा सन देह लगैय छौ सिनुरिया //२

सोरह वसंतक चढ़ल जुवानी में गिरबे करतैय बिजुरिया
देख मोर रूपरंग मोन तोहर काटै चौ किये अहुरिया
लाल लाल मोर लहंगा पर चमकैय छै सितारा
देख मोर पातर कमर मोन तोहर भेलौं किया आवारा //२

अजब गजब छौ चाल तोहर गोरिया गोर गोर गाल
कारी बादल सन केश तोहर ठोर छौ लाले लाल
चमकैय छे तू जेना चमकैय गगन में सितारा
देख के तोहर रूपक ज्योति मोन भेलैय हमर आवारा //२

मस्त मस्त नैयना मोर गोर गोर गाल
जोवनक मस्ती चढ़ल हमर ठोर लाले लाल
चमकैय छै मोर रूप जेना चमकैय अगहन के ओस
देख के मोर चढ़ल जुवानी उडीगेलय सभक होस //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 29 मार्च 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट


               गजल

फुलक डाएरह सुखल सुखल फुल अछी मुर्झाएल
वितल वसंत आएल पतझर देख पंछी पड़ाएल 


भोग विलासक अभिलाषी प्राणी तोहर नै कुनु ठेगाना 
आई एतय काल्हि जएबे जतय फुल अछी रसाएल


अपने सुख में आन्हर प्राणी की जाने ओ आनक दुःख 
दुःख सुख कें संगी प्रीतम दुःख में छोड़ी अछी पड़ाएल 


कांटक गाछ पर खीलल अछी मनमोहक कुमुदिनी 
कांट बिच रहितो कुमुदनी सदिखन अछी मुश्काएल 


बुझल नहीं पियास जकर अछी स्वार्थी महत्वकांक्षा 
होएत अछी तृप्त जे प्रेम में सदिखन अछी गुहाएल


अबिते रहैत छैक जीवन में अनेको उताड चढ़ाव 
सुख में संग दुःख में प्रीतम किएक अछी पड़ाएल
...........वर्ण-२१...................
रचनाकार:-प्रभात राय भ

सोमवार, 26 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
अप्पन आन सभ लेल अहाँ चिन्हार बनल छि
आS हमरा लेल किएक अनचिन्हार बनल छि

अहाँ एकौ घड़ी हमरा विनु नहीं रहैत छलौं
आई किएक हम अहाँ लेल बेकार बनल छि

कोना बिसरल गेल ओ प्रेमक पल प्रीतम
हमरा बिसारि आन केर गलहार बनल छि

हमर प्रीत में की खोट जे देलौं हृदय में चोट
अहाँक प्रीत में आईयो हम लाचार बनल छि

दिल में हमरा प्रेम जगा किया देलौं अहाँ दगा
दगा नै देब कही कs किएक गद्दार बनल छि

..................वर्ण:-१८............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 24 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल
अनचिन्हार सं जहिया चिन्ह्जान बढल
तहिया सं हमरा नव पहिचान भेटल

विनु भाऊ बिकैत छलहूँ हम बाजार में
आई अनमोल रत्न मान सम्मान भेटल

काल्हि तक हमरा लेल छल अनचिन्हार
आई हमरा लेल ओ हमर जान बनल

अन्हरिया राईत में चलैत छलहूँ हम
विनु ज्योति कहाँ कतौ प्रकाशमान भेटल

प्रभात केर अतृप्त तृष्णा ओतए मेटल
जतए अनचिन्हार सन विद्द्वान भेटल
.............वर्ण:-१६.................
रचनाकार :-प्रभात राय भट्ट

बुधवार, 21 मार्च 2012

परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ@प्रभात राय भट्ट



मिथिला के हम बेट्टी छि मैथिलि हमर नाम यौ
जनक हमर पिता छथि जनकपुर हमर गाम यौ
जगमे भेटत नै कतहूँ एहन सुन्दर मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

मिथिला के हम बेट्टा ची मिथिलेश हमर नाम यौ
मिथिला के हम वासी छि जनकपुर हमर गाम यौ
ऋषि महर्षि केर कर्मभूमि अछि मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

मिथिलाक मैट सं अवतरित भेल्हीं सीता जिनकर नाम यौ
उगना बनी महादेव एलाह पाहून बनी कय राम यौ
धन्य धन्य अछि मिथिलाधाम,मिथिलाधाम जगमे महान यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

हिमगिरी के कोख सं ससरल कमला कोशी बल्हान यौ
मिथिला के शान बढौलन मंडन,कुमारिल,वाचस्पति विद्द्वान यौ
हमर जन्मभूमि कर्मभूमि स्वर्गभूमि मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

कपिल कणाद गौतम अछि मिथिलाक शान यौ
विद्यापति के बाते अनमोल ओ छथि मिथिलाक पहिचान यौ
जगमे भेटत नै कतहूँ एहन सुन्दर मिथिलाधाम यौ
परम पावन पुन्यभूमि अछि अपने मिथिलाधाम यौ

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 20 मार्च 2012

प्राचीन मिथिला@प्रभात राय भट्ट



मिथिला के मिथिलेश्वर महादेव हम की कहू यौ
स्वम अहाँ छि अन्तरयामी अहाँ सभटा जनैतछी यौ
बसुधाक हृदय छल हमर महान मिथिला
इ हमही नै शाश्त्र पुराण कहैय यौ

मिथिलाक जन जन छलाह जनक एही ठाम
ताहि लेल नाम पडल जनकपुर धाम
राजा जनक छलाह राजर्षि जनकपुरधाम में
सीता अवतरित भेलन्हि मिथिले गाम में

मिथिलाक पाहून बनी ऐलाह चारो भाई राम
विद्यापती के चाकर बनलाह उगना एहि ठाम
चारो दिस अहिं छि महादेव जनकपुर के द्वारपाल
पुव दिस मिथिलेश्वरनाथ पश्चिम जलेश्वरनाथ

उत्तर दिस टूटेश्वरनाथ दक्षिण कलानेश्वरनाथ
किनहू भs सकय मिथिलाक प्राणी अनाथ
इ ध्रुव सत्य अछि प्राचीन मिथिलाक परिभाषा
एखुनो अछि एहन सुन्दर मिथिलाक अभिलाषा

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
अहाँ विनु जिन्गी हमर बाँझ पडल अछि
सनेह केर पियासल काया जरल अछि


दूर रहितो प्रीतम अहाँ मोन पडैत छि
प्रीतम अहिं सं मोनक तार जुडल अछि


तडपैछि अहाँ विनु जेना जल विनु मीन
अहाँ विनु जिया हमर निरसल अछि


नेह लगा प्रीतम किया देलौं एहन दगा
मधुर मिलन लेल जिन्गी तरसल अछि


अहाँ विनु प्रीतम जीवन व्यर्थ लगैय
की अहाँक प्रेमक अर्थ नहीं बुझल अछि
..............वर्ण-१६...........
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 18 मार्च 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-
वसंत ऋतू में आएल सगरो वसंत बहार
वनस्पतिक पराग गमकौने अनन्त संसार


हरियर पियर उज्जर पुष्प आर लाले लाल
पुष्पक राग केर उत्कर्ष अछि वसंत बहार


झूमी रहल कियो गाबी रहल नाचे कियो नाच
पलवित भेल प्रेम मोन में अनन्त उद्गार


सीतल सुन्दर सजल बहैय वसंत पवन
मनोरम प्रकृतिक दृश्य अछि वसंत बहार


मोर मयूरक नृत्य मधुवन कुह्कैय कोईली
मधुर मुस्कान सगरो आनंद अनन्त संसार


प्रेम मिलन मग्न प्रेमी पुष्पित वसंत बहार
मोन उपवन सुरभित भेल अनन्त संसार
.............वर्ण-१८.............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 2 मार्च 2012

गीत:-
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

पंचतत्व रचित इ अधम शरीर
घाऊ अछि सभक मोन में गंभीर
सुख के खोज में दुनिया लागल
राजा रंक जोगी फकीर .............
हो भैया, राजा रंक जोगी फकीर
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर//
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

सुख नहि हुनका भेटल जग में
जे दुःख सं मुह मोड़ी पड़ाएल

जराबू मोन में जीवन दर्शन ज्योति
दुःख क सागरमे भेटै छैक
सुख स्वरुप अपार हिरामोती
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर//
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

भाग्य सं बढ़ी के जगमे किछु नहीं बलवान
पल में राजा रंक भेल विप्र बनल धनवान
राजपाठ सभ त्यागी भेल राम लखन वनवासी
बिक गेल राजा हरिश्चंद्र बनल डोमक दासी
हो भैया,राजा हरिश्चंद्र बनल डोमक दासी
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर //
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२

जीवन एक संघर्ष दुःख छै महा संग्राम
कांटक डगैर चलैत रहू लिय नै विश्राम
दुःख क संघर्ष सं भेटैय छै सुख आराम
दुःख सुख छै जीवन,जिनगी एकरे नाम
हो भैया,जिनगी एकरे नाम ..............
टुईट नै सकैय विधना के विधानक लकीर //
बदैल नै सकैय कियो अप्पन तक़दीर //२
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट