रविवार, 29 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

साबन में बरसै छै बदरिया गाम आबू ने पिया सबरिया
अंग अंग में उठल दरदिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

प्रेम मिलन के आएल महिना बड मोन भावन छै सावन
कुहू कुहू कुह्कैय कोईलिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

नील गगन सीतल पवन लेलक चढ़ल जोवन उफान
इआद अबैय प्रेम पिरितिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

मोन उपवन साजन प्रेम रासक रस सं भरल जोवन
मोन पडैय अहाँक सुरतिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया

मोन बौआइए किछु ने फुराइए जागी जागी वितैय रतिया
पिया कटैय छि हम अहुरिया गाम आबू ने पिया सिनेहिया
.................वर्ण:-२३.....................

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 27 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

सावन भादव कमला कोशी जवान भSगेलै
कमला कोशी मारैय हिलोर तूफान भSगेलै
कोशी केर कमला सेहो पैंच दैछई पईन
कोशीक बहाब सं मिथिला में डूबान भSगेलै
कोशी के जुवानी उठलै प्रलयंकारी उन्माद
दहिगेलै वलिनाली बर्बाद किसान भSगेलै
गिरलै महल अटारी आओर कोठी भखारी
खेत बारी घर घर घरारी सभ धसान भSगेलै
निरीह अछि मिथिलावासी के सुनत पुकार
खेतक अन्न घरक धन अवसान भSगेलै

कोशिक कहर नहि जानी की गाम की शहर
घुईट घुईट जहर सभ हैरान भSगेलै

खेत में झुलैत हरियर धान बारीमे पान
दाहर में डुबिक नगरी समसान भSगेलै

भूखल देह सुखल "प्रभात" मचान भSगेलै
कोशिक प्रकोप सं मिथिला परेशान भSगेलै
...........वर्ण-१७..............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

हमरा बिसैइर प्रीतम अहाँ जाएब कतय
एहन प्रगाढ़ प्रेम स्नेह अहाँ पाएब कतय

टुईट नै सकैय प्रीतम साँच प्रेमक बन्हन
चिर प्रेमक बन्हन तोड़ी अहाँ जाएब कतय

बिसैइर केर हमरा दिल लगाएब कतय
छोड़ी कें एसगर हमरा अहाँ जाएब कतय

अहाँक करेजक धड़कन में हम धड्कैत छि
कहू दिल से धड़कन निकाली जाएब कतय

"प्रभात"करेज में पसरल अछि हमर माया
अहाँक छाया हम छि छाया छोड़ी जाएब कतय
................वर्ण:-१८................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल
दिल के दर्द दिल में दबौने नैयन में नोर नुकौने छि
के जानत हमर दिल के ब्यथा मुश्कैत ठोर देखौने छि

वेदना कियो कोना देखत चमकैत चेहरा कें भीतर
प्रियम्बदा केर एकटा राज हम बड जोर दबौने छि

वेकल अछ मोन धधकैत आईग में जरैत करेज
अशांत मोन भीतर मधुकर भावक शोर मचौने छि

तिरोहित भगेल अछि जीवनक उत्कर्ष केर संगम
मधुर मिलन कें अनुपम राग सं भोर गमकौने छि

आएल अमावस खत्म भेल ख़ुशी केर अनमोल पल
"प्रभात" इआदके बाती नोरक तेल सं ईजोर कौने छि

.......................वर्ण-२१...............
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 16 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

एकटा बात कहू सजनी जौं हम नै रहब तं अहाँ रहब कोना
छोड़ी चलिजाएब जौं परदेश विरह कें दुःख अहाँ सहब कोना

पल पल हर पल हम रहैत छि प्रिया अहाँक संग सदिखन
हमर रूचि सं श्रृंगार करैत छि हमरा बिनु अहाँ सजब कोना

हमरा सँ सजनी अहाँ नुका कS नहि रखने छि दिल में राज कोनो
किछु बात जे हमही जानैत छि लाज सं ककरो अहाँ कहब कोना

मधुर मिलन लेल जी तरसत पिया पिया अहाँक मोन कहत
नैना सँ अहाँक नीर बहत तडपी तडपी अहाँ सम्हरब कोना

श्रृंगार बहत नोरक धार सँ ह्रिदय तडपत विछोडक पीड़ा सँ
भूख पियास नीन सभ त्यागी कें "प्रभातक"बाट अहाँ जोहब कोना
..............वर्ण-२५......................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 15 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

राईत दिन हम अहींक सुरता पिया कएने छि
दूर रहिक हमरा सं हमरा किया सतएने छि

कमला कोशी लेलक उफान मारैय हमर जान
बनी कें अन्जान पिया हमर जिया तरसएने छि

प्रेम परिणय आलिंगन लेल जी हमर तरसैय
प्रेम मिलन ओ मधुर इआद सं हिया जुडएने छि

दिन गनैत बितैय दिन कोना जियव अहाँ विन
दिल के दिया में नोरक तेल सं दिया जरएने छि

सजी देखैछि ऐना सावन भादव बरसैय नैना
अहाँ विन जागी जागी "प्रभात"रतिया वितएने छि
................वर्ण-१९..................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शनिवार, 14 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल

चन्दन कें गाछ पर बसेरा होए छै सांप कें
जेना कान्हा पर बौआ सबारी होए छै बाप कें

बड दुःख उठा बाप बौआ के पैघ बनाबै छै
चोट लागैछै बौआ कें दर्द होए छै बाप कें

प्रेम स्नेह माया ममताक पात्र थिक संतान
सैतान छै संतान भान कहाँ होए छै बाप कें

काहि काटी कें बाप बेट्टा पर जीन्गी लुट्बैय
आला आफिसर भS कS बेट्टा नै होए छै बाप कें

सांप कें कतबो दूध पियाबू डैस लै छै सांप
बाप मागै छै भीख बेट्टा कहाँ होए छै बाप कें
..............वर्ण:-१७ .................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 10 अप्रैल 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट

            गजल

रिमझिम सावन बरसलै मोर अंगना
देखू सखी अंगना चलीएलै मोर सजना


अंगना में नाचाब हम खनका के कंगना 
जन्म जन्मक पियास मेटलै मोर सजना


देखलौ मधुमास हम मनोरम सपना 
अहाँ विनु करेज धरकलै मोर सजना 


बैशाख जेठक अग्न सँ जरल छल मोन 
अंग अंग में जलन उठलै मोर सजना 


अहाँक छुवन सँ दिल में उठल जलन 
मिलन लेल दिल तरसलै मोर सजना 
वर्ण:-१६ 
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

संबाद@:-प्रभात राय भट्ट

                   संबाद !!

काका:- सुन रे बौआ  देशक हाल बड बेहाल छै 
             जनता के लुईट लुईट चोर नेता सभ नेहाल छै 


भतीजा:- सुन हो काका गामक छौरा सभ भSगेलैय चोर डाका 
               लुईट लुईट आनक धन ताडिखाना में उड़बैय छै टाका


काका:- कह रे बौआ पैढ़लिख तोहूँ आब करबे की ?
            भेटतहूँ  नहि कतहु नोकरी चाकरी कह तोहूँ आब करबे की ?


भतीजा:- पैढ़लिख हम नेता बनब काका करब देशक सेवा 
               भूख गरीबी दूर भगा करब हम जनसेवा 


काका:- देश डुबल छै कर्जा में बौआ नेता सभक खर्चा में 
            भ्रष्टाचारी नेता सभक नाम छपल छै अख़बार पर्चा में 


भतीजा:- भ्रष्टाचारी  नेता सभ कें मुह कारिख पोती गदहा चढ़ाऊ
               राजनीती में कुशल सक्षम युवा सभ के आगू बढ़ाऊ


काका:- जे जोगी एलई काने छेदेने नै छै ककरो ईमान रौ
            कायर गद्दार नेता सभ बेच  देलकैय स्वाभिमान रौ 


भतीजा:- क्रांतिकारी युगांतकारी युवा नेता में दियौ मतदान यौ
               सुख समृद्धवान  देश बनत ,बनत सभ कें अपन पहिचान यौ 
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट 

शनिवार, 7 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-

गजलक शब्द शब्द अछि हिरामोती जेना लगैय ज्योति
जीवनक विछोड मिलन में गजल जेना लगैय मोती

सोचक सागर में डूबी निकालैय कियो हिरामोती
अप्रतिम सुन्दर शब्दक संयोजन जेना लगैय मोती

सुन्दर नारी पर शब्दक गहना भSजाएत अछि भारी
गीत गजल सुन्दर शब्दक रचना जेना लगैय मोती

श्रृंगार रासक शब्द सं अछि नारी केर श्रृंगार सजल
अनुपम शब्दक अनमोल गजल जेना लगैय मोती

निशब्द भावक शब्द बनी ठोर पर घुन्घुनाए गजल
गजलकारक शब्द रचल गजल जेना लगैय मोती

..........वर्ण-२१....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

शुक्रवार, 6 अप्रैल 2012

  गीत@प्रभात राय भट्टलग आऊ लग आऊ सजनी कने चूल्हा पजारैछि
चूल्हा में आंच लगा कS सजनी अधन खौलाबैछि
भूख अछ बड जोर लागल एखन धैर नहि भात पाकल
भूक सँ मोन छटपट करैय होइए नै कम्हरो ताकल

एना नै चूल्हा पजरत बलम धुँआधुकुर किया केनेछी
उकुस मुकुस हमर मौन करैय एना किया सतौनेछी
पजरैय नै चूल्हा अहाँ सँ , अहाँ कोना पकाएब भात यौ
झट सँ चमच नीकाली पिया दहिए चुरा पर फेरु हात यौ

दही जमा कS मटकुरी में मलाई कतS नुकौनेछी
सुखल चुरा खुआ खुआ कS हमरा बड तरसौनेछी
चुरा दहिक संग हम खाएब दरभंगिया पुआ पकवान यए
छैयल छबीला हम छि गोरी जनकपुरिया नव जवान यए

दही जमौने मटकुरी में बलम हम अहिं लेल रखनेछी
खाऊ पिया मोन भईर के आई मुह किया लटकौनेछी
खुआ मलाई खूब खाऊ चाटी चाटी चिनिक चासनी यौ
दही चुरा पर पकवान ऊपर सं चाटु पिआर के चटनी यौ

रचनाकार:- गीत@प्रभात राय भट्ट

मंगलवार, 3 अप्रैल 2012

गीत@प्रभात राय भट्ट



गीत-

जहिया सँ देखलौं हम हुनकर सुरतिया
ईआद आबैय ओ हमरा आधी आधी रतिया
पूर्णिमा के पूनम सन हुनकर सुरतिया
हुनके रूप सँ होएत छैक सगरो ईजोरिया

चम् चम् चमकैय छै ओ जेना अगहन के ओस
नैयन मिलल हुनका उडिगेल हमर होस
छम छम बजबैत पाएल ओ लग हमरा आएल
देख कS हुनक अधर उर्र भS गेलौं हम घाएल

मधुर बोली हुनक मादकता सं भरल जोवन
हिरन के चाल हुनक चंचल चितवन
अंग अंग सोन हुनक सूरत हिरामोती
हुनक स्पर्श सं भेटैय आन्हर के ज्योति

गाल हुनक लागैय जेना सुभ प्रभातक लाली
ठोर हुनक लगैय जेना मदिरा कें पियाली
मटैक मटैक चलनाए जेना मधुमासक पवन
सपना में आबी करै छथि ओ हमरा सं मिलन

रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

सोमवार, 2 अप्रैल 2012

गजल@प्रभात राय भट्ट



गजल:-

ठुमैक ठुमैक नै चलू गोरी जमाना खराब छै
मटैक मटैक चलब कें जुर्वना वेहिसाब` छै

जान मरैय सबहक अहाँक चौवनी मुश्कान
अहिं पर राँझा मजनू सन दीवाना वेताब छै

कोमल कंचन काया अहाँक चंचल चितवन
जेना हिरामोती सं भरल खजाना लाजवाब छै

निहायर निहायर देखैय अहाँ कें सभ लोक
प्रेम निसा सं मातल सभ परवाना उताव छै

जमाना कहैय अहाँक रूप खीलल गुलाब छै
झुका कS नजैर अहाँक मुश्कुराना अफताव छै
............वर्ण:-१८.....................
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट

रविवार, 1 अप्रैल 2012


गजल@प्रभात राय भट्ट


             गजल:-

जिन्गी तोंहू केहन निर्दय निष्ठुर भSगेलाए
छन में सभ सपना चकनाचूर कSदेलाए


छोट छीन छल बसल हमर नव संसार 
संसार सं किएक तू हमरा दूर कSदेलए 


दुःख सुख तं जीवन में अविते रहैत छैक 
मुदा दुःख ही टा सं जिन्गी भरपूर कSदेलए 


भईर नहि सकैत छि अप्पन दिल के घाऊ
चालैन जिका गतर गतर भुर कSदेलए 


उज्जारही के छलौं हमर जीवनक फुलबारी 
तेंह दिल झकझोरी किएक झुर कSदेलए 


तडपी तडपी हम जीवैत छि एहन जिन्गी 
जिन्गी तोंह दिल में केहन नाशुर कSदेलए 


कर्मनिष्ठ बनी कय कर्मपथ पर चलैत छलौं 
नजैर झुका चलै पर मजबूर कSदेलए
 .............वर्ण-१७........
रचनाकार:-प्रभात राय भट्ट